बटन मशरुम की केसिंग मिट्टी को बनाने की Best तकनीत Step-by-Step 2020
केसिंग ( आवरण ) क्यों किया जाता है?
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बटन मशरुम की केसिंग
मशरुम में केसिंग करना मशरुम को बढ़ने के लिये बहुत जरूरी होता है। कम्पोस्ट (खाद) में बीज मिलाने के पश्चात् उसे नियंत्रित कमरे में 20-25 ° सेल्सियस पर अनुकूल परिस्थितियों में मशरूम का माईसिलियम 12-15 दिनों में पूरी खाद में फैल जाता है।
परन्तु कम्पोस्ट में माईसिलियम कितनी अच्छी तरह ही क्यों न फैला हो , इसमें मशरूम नहीं निकलेंगी जब तक कि इसके ऊपर केसिंग मिट्टी को न बिछाया जाए।
केसिंग मिश्रण एक प्रकार की मिट्टी होती है जिसे कम्पोस्ट पर बिछाने से मशरूम निकलने लगती है। केसिंग मिट्टी एक न्यून पोषक माध्यम है , इससे एक स्ट्रेस की स्थिति उत्पन्न होती है जो मशरूम उत्पादन के लिए आवश्यक है। इस मिश्रण को केसिंग मिश्रण और इसे खाद पर बिछाने की प्रक्रिया को केसिंग करना कहते हैं।
अच्छे केसिंग मिश्रण के गुण:
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एक अच्छे केसिंग मिश्रण में निम्नलिखित गुण होने चाहिए :
- केसिंग की बनावट इस प्रकार की होनी चाहिए कि मशरूम उत्पादन के समय उत्पन्न विषैली गैसें आसानी से बाहर निकल सके और साथ ही जीवनदायनी गैस आक्सीजन बहुतायत में उपलब्ध हो सके।
- केसिंग मिश्रण की पानी सोखने की क्षमता ( वाटर होल्डिंग कैपेसिटी ) 60 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए अर्थात एक किलो सूखी मिटटी में पानी डालने के बाद इसका वजन 2.5 किलो या इससे अधिक होना चाहिए जिस से गीली केसिंग का 60 % या अधिक हिस्सा पानी होगा। यूरोप में पीट मॉस का प्रयोग किया जाता है जिसकी पानी सोखने की क्षमता लगभग 80 प्रतिशत होती है अर्थात एक किलो सूखी केसिंग पानी डालने के बाद 5 किलो हो जाती है। इसके इसी गुण के कारण यह सबसे अधिक प्रचलित केसिंग मिश्रण मानी जाती है।
- केसिंग मिश्रण में ढेले , पत्थर आदि बिल्कुल नहीं होने चाहिए। यह मशरूम के बाहर निकलने में रुकावट डालते हैं।
- अम्लीयता / क्षारीयता : – एक अच्छे केसिंग मिश्रण का P.H. क्षारीय ( 7.0-7.7 ) होना चाहिए । यदि मिश्रण अम्लीय होगा तो उसमें बटन मशरूम का माईसिलियम धीरे फैलेगा , साथ ही प्रतियोगी माईसिलियम भी बहुत अधिक मात्रा में आएगें।
- केसिंग मिश्रण में किसी प्रकार के बीमारी फैलाने वाले जीवाणु , सूत्र कृमि , मक्खी व प्रतियोगी फफूंद नहीं होने चाहिए।
- केसिंग मिश्रण इस प्रकार का होना चाहिए कि इसका पोषण मान खाद से काफी कम हो। यदि केसिंग का पोषण मान अधिक होगा तो मशरूम उत्पादन के स्थान पर केसिंग में माईसिलियम फैलता रहेगा जो बाद में स्ट्रोमा के रूप में विकसित होगा। एक बार स्ट्रोमा बनने पर इसमें मशरूम उत्पादन तब तक नहीं होगा जब तक इस स्ट्रोमा को निकाल कर बाहर न किया जाए। इसके साथ ही केसिंग में खनिज तत्त्वों की मात्रा भी अधिक नहीं होनी चाहिए।
केसिंग मिश्रण बनाने में उपयोग होने वाली सामग्री व बनाने का तरीका:
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पीटमॉस का उपयोग कर के एक अच्छा केसिंग तैयार कर सकते है , क्योंकि इसमें पानी सोखने की क्षमता बहुत अधिक होती है परन्तु अम्लीयता के कारण इसे प्रयोग में लाने से पहले चूना ( कैल्शियम कार्बोनेट ) मिलाना अत्यन्त आवश्यक है।
भारत में पीटमॉस उपलब्ध न होने के कारण कई अन्य प्रकार के केसिंग मिश्रण समय – समय पर प्रयोग किये जाते रहे हैं । कुछ मिश्रण जो अधिक लोकप्रिय है इस प्रकार है:-
- दो साल पुरानी गोबर की खाद व दोमट मिट्टी ( बराबर हिस्सों में ) को लेकर एक अच्छी केसिंग तैयार कर सकते है जिसमें पानी को सोखने की अच्छी क्षमता होती है।
- कोइर पिथ अकेली , या 20-50 % राख के साथ या पुरानी गोबर की खाद या दोनों के साथ मिला कर इस्तेमाल कर सकते है, जिसमें पानी को सोखने की अच्छी क्षमता होती है। आज कल ज्यादातर किसान नारियल कि कोइर पिथ आधारित केसिंग मिटटी ही प्रयोग करते हैं।
- दो साल पुरानी स्पेंट कम्पोस्ट , चिकनी मिट्टी व दोमट मिट्टी ( 2 भागः 1 भागः 1 भाग ) को लेकर भी अच्छी केसिंग तैयार कर सकते है जिसमें पानी को सोखने की अच्छी क्षमता होती है।
- दोमट मिट्टी व रेत ( 4 भागः 1 भाग ) का इस्तेमाल एक अच्छी केसिंग के रूप मैं किया जाता है।
- दो साल पुरानी स्पेंट कम्पोस्ट , रेत व चूना ( 4 भागः 1 भागः 1 भाग ) का इस्तेमाल एक अच्छी केसिंग के रूप मैं किया जाता है, जिसमें पानी को सोखने की अच्छी क्षमता होती है।
केसिंग मिश्रण को कीटाणु रहित करना :
केसिंग मिश्रण को कीटाणु रहित करने के दो मुख्य विधि है:-
1. पास्चूराईजेशन ( पास्चुरीकरण ) विधि द्वारा
2. रासायनिक उपचार विधि द्वारा
1. पास्चूराईजेशन ( पास्चुरीकरण ) विधि द्वारा:
केसिंग मिश्रण में बहुत सी बीमारियों के कीटाणु, प्रतियोगी फफूंद , कृमि व कीट हो सकते हैं जो केसिंग की तह बिछाते ही विकसित होने लगते हैं क्योंकि जो वातावरण मशरूम के विकास के लिये उपयुक्त होता है वही इन अवांछित जीवों के लिये भी उपयुक्त होता है।
इसके फलस्वरूप ये जीव मशरूम से पोषक तत्त्वों के लिये प्रतियोगिता करते हैं , जिससे मशरूम का उत्पादन कम हो सकता है। इन जीवों से छुटकारा पाने के लिये केसिंग मिश्रण को तैयार करने के पश्चात् इसे भाप द्वारा पास्चुराईज किया जाता है।

पास्चुरीकरण रूम
पास्चूराईजेशन ( पास्चुरीकरण ) विधि में केसिंग मिश्रण को पास्चुरीकरण कमरे में 60-65 ° सेल्सियस तापमान पर 6-8 घण्टे तक रखा जाता है। ठण्डा होने पर इस मिश्रण को प्रयोग में लाया जाता है।
2. रासायनिक उपचार विधि द्वारा:
रासायनिक उपचार विधि द्वारा भी केसिंग मिश्रण को कीटाणु रहित किया जा सकता है। रासायनिक उपचार के लिये केसिंग प्रक्रिया शुरु करने से 15 दिन पहले , यानि बीजाई के एक दम बाद केसिंग मिश्रण बनाकर उपचारित करना पड़ता है।
इस प्रक्रिया में फोर्मलीन का 2 प्रतिशत घोल बनाया जाता है। इस घोल को बनाने के लिये 2 लीटर फार्मेलीन 40 लीटर पानी में घोल ली जाती है। केसिंग मिश्रण को इस घोल से पूरी तरह गीला किया जाता है।
इसके पश्चात् मिश्रण को पॉलीथीन शीट से चारों ओर से अच्छी तरह ढक देते हैं। इस शीट को केसिंग की प्रक्रिया शुरु करने से 24 घण्टे पहले हटाया जाता है। इसके बाद मिश्रण को एक साफ सुथरे बेलचे से थोड़ा उलट – पलट देते हैं ताकि फार्मेलीन की गंध निकल जाये।
अन्य विधि :
1 लीटर फोर्मलीन प्रति क्यूबिक मीटर केसिंग मिट्टी की दर से मिलाई जाती है और 3-4 दिन के लिये मिट्टी ढक कर रख दी जाती है । इसके बाद पन्नी को हटा लिया जाता है और हमारी केसिंग तैयार हो जाती है।
केसिंग कब करी जाती है?
केसिंग मिश्रण तब बिछाया जाता है जब खाद में माईसिलियम पूरी तरह फैल चुका हो। जैसा पहले भी बताया जा चुका है कि अनुकूल परिस्थितियों में बीजाई के 12-15 दिन बाद माईसिलियम खाद में फैल जाता है।
इसके पश्चात् ही केसिंग मिश्रण खाद पर बिछाना ठीक रहता है। केसिंग करने का सही समय का निर्धारण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। कई बार तो केसिंग बीजाई के एक दम बाद कर दी जाती है, जिसके उपरान्त बैग या पेटी को ढक दिया जाता है।
परन्तु इस प्रकार केसिंग करने से प्रतियोगी फफूंदों के आने का खतरा हर समय बना रहता है। इस तरीके से शेल्फों या बैग की देखभाल करने के लिये अधिक समय की आवश्यकता पड़ती है।
केसिंग परत बिछाने की प्रक्रिया व सावधानियां:
- सर्वप्रथम हाथों को अच्छी तरह साबुन से धो लें।
- अब बैग या पेटियों या शेल्फों पर से कागज हटा दें। यदि बैग अन्दर की ओर फोल्ड किया गया हो तो खोल लें।
- अब शेल्फों व बैग में खाद की ऊपरी तह को हाथ से दबा कर समतल कर लें।
- बर्तन जिसमें केसिंग मिश्रण बोरी से निकाल कर रखना है , अच्छी तरह साफ करके दो प्रतिशत फार्मेलीन के घोल में डाल कर निकालें। अब सूखने पर बोरी में से केसिंग मिश्रण इस बर्तन में डाल लें।
- केसिंग मिश्रण , बैग या शेल्फों की समतल की गई सतह पर डालकर 3-4 सें.मी. मोटी तह बिछा ले। इससे कम मोटी तह बिछाने पर फफूंद केसिंग के उपर आ जाता है और इससे अधिक मोटी परत बिछाने पर जो मशरूम उगते हैं उनके तने बहुत लम्बे होते हैं कई बार मशरूम केसिंग के अन्दर ही बन जाते हैं। तो सही ऊँचाई का हमेशा ध्यान रखे।
- केसिंग बिछाते हुए कुछ केसिंग मिश्रण नीचे गिर जाता है। इसे प्रयोग में नहीं लाना चाहिए तथा उठाकर बाहर फेंक देना चाहिए।
- केसिंग के तुरन्त बाद बैगो को रैक में रख के केसिंग के ऊपर पानी का छिड़काव करना चाहिये। पहली बार छिड़काव में पानी में 0.5 % फार्मेलीन का उपयोग करना चाहिये।
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भारत मैं मशरुम की खेती का प्रशिक्षण बागवानी विभाग से ले सकते है इसकी वेबसाइट https://hortnet.gov.in/ है।
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