बटन मशरूम कम्पोस्ट (खाद):

मशरुम की अच्छी पैदावार के लिए अच्छी गुडवत्ता की बटन मशरूम कम्पोस्ट (खाद) की जरूरत होती है। मशरूम उत्पादन के लिए खाद ( कम्पोस्ट ) गेहूं या धान के भूसे में अन्य तत्त्वों को मिला कर तैयार की जाती है।
बटन मशरूम कम्पोस्ट बनाने में उपयोग होने वाली अन्य सामग्री:
बटन मशरूम कम्पोस्ट तैयार करने से पहले यह आवश्यक है कि सामग्री के लिए सही तत्त्वों का सही मात्रा में चयन किया जाए ।
इस सामग्री में गेहूं तथा चावल का भूसा प्रमुख है । गेहूँ के भूसे का प्रचलन अधिक है क्योंकि यह आसानी से सभी जगह मिल जाता है ।
उन भागों में जहां चावल की पैदावार अधिक है , चावल के भूसे का प्रयोग भी किया जा सकता है ।
इसके अलावा सरसों का भूसा , गन्ने के अवशेष , दाल वाली फसलों का भूसा , ग्वार का भूसा इत्यादि भी मशरूम उत्पादन के लिये कम्पोस्ट बनाने में प्रयोग किया जाने लगा है ।
भूसे के अतिरिक्त जो सामग्री इस मिश्रण में डाली जाती है वह इस प्रकार है :
1 ) पशु मलमूत्र की खादः
इसमें प्रमुख है मूर्गी की बीट । इसके अतिरिक्त सुअर व भेड़ – बकरी के मलमूत्र की खाद भी प्रयोग में लाई जा सकती है ।
इन सभी खादों में नाइट्रोजन की मात्रा 2-4 प्रतिशत तक हो सकती है । बटन मशरूम कम्पोस्ट बनाने के लिए घोड़े की लीद उसके बिछावन के साथ अत्यन्त उत्तम सामग्री है और शुरू में इसका प्रयोग किया जाता था ।
इसके मिलने पर मुर्गी खाद / बीट का प्रयोग किया जा रहा है । ये सामग्रियों नाइट्रोजन के अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट भी देती हैं और इनका विलय धीरे – धीरे होता है जिससे गलने की प्रक्रिया के दौरान इनके नुकसान की सम्भावना कम होती है ।
2 ) पशु – आहारः
इस श्रेणी में मुख्यतः सड़ने गलने की प्रक्रिया को तेज करने वाले तत्त्व आते हैं । इसमें ब्रूयर्स ग्रेन ( सूखा ), चोकर , कपास , सोया, सरसो, अलसी, केस्टर ( अरन्ड ) आदि के बीज चूर्ण / खल आते हैं ।
ये सामग्रियाँ भी कार्बोहाइड्रेट व नाइट्रोजन को धीरे – धीरे छोड़ती हैं , साथ ही यह गलने की प्रक्रिया को तेज करती है । इन सामग्रियों में नाइट्रोजन ३ प्रतिशत तक होती है ।
3 ) खनिज तत्वों के सहायक:
इसमें पोटाश व फोस्फोरस उर्वरक आते हैं जो सूत्र में खनिज तत्त्वों की मात्रा को नियंत्रित रखते हैं । जिप्सम भी इस श्रेणी में आता है ।
4 ) अन्यः
इन पशु मलमूत्र खादों के अतिरिक्त कुछ ऐसी सामग्रियों हैं जिसमें पोषक तत्त्व आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं । इसमें मुख्यतः दो प्रकार की सामग्रियों आती है :
1) नाइट्रोजन बहुल्य सामग्री :
इस श्रेणी में उर्वरक जैसे कैन, यूरिया , अमोनियम नाइट्रेट तथा अमोनियम सल्फेट आते हैं । यह सामग्री मुख्यतः सूत्र में नाइट्रोजन की मात्रा को सामग्री के शुष्क भार के 1.6-1.75 प्रतिशत तक लाने के लिए मिलाई जाती है । इन सामग्रियों से नाइट्रोजन आसानी से सूक्ष्मजीवियों के लिए उपलब्ध होती है ।
2 ) कार्बोहाइड्रेट बहुल्य सामग्री :
इस श्रेणी में ब्रूयर्स ग्रेन ( बीयर फैक्ट्री से निकले जौ ), सीरा, आलू की व्यर्थ , अंगूर की पोमेस, सेब व आदि मुख्य है । यह सामग्री बटन मशरूम कम्पोस्ट के सूत्र में कार्बन – नाइट्रोजन के अनुपात को सही करती है तथा लाभदायक सूक्ष्मजीवी जल्द विकसित करती है ।
बटन मशरूम कम्पोस्ट बनाने का सूत्र:
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सभी पदार्थो की मात्रा इस प्रकार तय की जाती है कि सामग्री में नाइट्रोजन शुष्क भार का 1.6 से 1.76 प्रतिशत तक हो तथा कार्बन व नाइट्रोजन की मात्रा के बीच संतुलन हो ।
गलने की प्रक्रिया शुरु होने से पहले कार्बन – नाइट्रोजन में 32-36 : 1 का अनुपात होना चाहिए , यह अनुपात प्रक्रिया पूरी होने के समय 17-21 : 1 पर आ जाता है ।
खाद गलाना क्यों आवश्यक है?:
1. बटन मशरूम कम्पोस्ट को अगर नही गलाया तो उसमें से ऊष्मा निकलती है जो मशरुम को बढ़ने नही देता।
2. बटन मशरूम कम्पोस्ट की भौतिक संरचना को इस प्रकार बनाने के लिए जिससे बीज को सही मात्रा में वायु व जल मिलता रहे तथा शुद्धवायु की कमी से बीज न मरे ।
3. बटन मशरूम कम्पोस्ट में मौजूद तत्त्वों को मशरूम के लिए आसानी से उपलब्ध तत्त्वों में बदलने के लिए ।
4. बटन मशरूम कम्पोस्ट को गलाना इस लीये जरूरी है ताकी खाद सफेद बटन मशरूम के लिए अति उत्तम माध्यम बने।
5. बटन मशरूम कम्पोस्ट में पानी की मात्रा, वांछित पौष्टिक्ता व अम्लीयता / क्षारीयता का सही से समायोजन करने के लिए ।
इन तथ्यों को आधार मानकर खाद का सूत्र बनाया जाता है जिसमें प्रत्येक वस्तु की मात्रा निश्चित की जाती है । इस प्रक्रिया को सूत्रीकरण कहते हैं ।
बटन मशरूम कम्पोस्ट में नाइट्रोजन की मात्रा की गणना करने का तरीका और कुछ सूत्र जो अधिक प्रचलित हैं इस प्रकार है:-
सूत्र 1- नाइट्रोजन की गड़ना:-

नाइट्रोजन% = (17.6/1114)× 100 = 1.6%
नोट: मुर्गी की खाद में यह 30 % हो सकती है । सही गणना करने के लिए वस्तुओं को ओवन सूखा कर सही मात्रा निकालें ।
यूरिया की मात्रा मुर्गी की खाद में उपस्थित नाइट्रोजन की मात्रा से कम ज्यादा की जाती है।
सूत्र 2-

नाइट्रोजन% = (28.6/1595)× 100 = 1.8%
सूत्र 3-

नाइट्रोजन% = (35.5/2400)× 100 = 1.5%
बटन मशरूम कम्पोस्ट बनाने की विधि:
बटन मशरूम उत्पादन के लिए खाद तैयार करने की बहुत सी विधियाँ है । इन विधियों में समय – समय पर अनेक परिवर्तन हुए है । मुख्य रूप से दो विधिया किसानो मैं बहुत प्रचलित है :-
1.) लम्बी विधि द्वारा खाद बनाना
2.) छोटी विधि द्वारा खाद बनाना
1.) लम्बी विधि द्वारा बटन मशरूम कम्पोस्ट (खाद) बनाना:

इस विधि द्वारा बटन मशरूम कम्पोस्ट लगभग चार सप्ताह में तैयार हो जाती है। बटन मशरूम कम्पोस्ट बनाने के लिए पक्के फर्श का होना उचित रहता है तथा तथा फर्श में ढाल होना जरूरी है ताकि आवश्यकता से अधिक पानी निकाल सके।
जिधर ढाल बनायी गई है वहाँ एक छोटा गड्ढा भी बना होना चाहिये ताकि कम्पोस्ट से निकले पानी को जमा कर सके जो बाद में कम्पोस्ट में इस्तेमाल किया जाता है जब कम्पोस्ट मैं पानी की कमी महसूस हो। इस पानी को दोबारा प्रयोग में लाने से बहे हुए तत्त्व उसी बटन मशरूम कम्पोस्ट में मिलाये जा सकते हैं ।
ऊपर छत भी आवश्यक है जिससे बटन मशरूम कम्पोस्ट का वर्षा और धूप आदि से बचाव हो सके। कम्पोस्ट यार्ड की ऊँचाई भी ज्यादा होनी चाहिये काम से कम 20-22 फ़ीट जिससे खाद बनाने के दौरान निकलने वाली गैस आसानी से निकल सके।
पहले भूसे को फैलाया जाता है। ढेर बनाने से 2 दिन ( 48 घण्टे ) पहले भूसे को अच्छी तरह गीला किया जाता है ।
गीला करते समय भूसे के पैरों तले दबाया व मसला जाता है जिससे भूसे द्वारा पानी अच्छी तरह सोख लिया जाता है।
ढेर बनाने से 12-16 घण्टे पहले जिप्सम व जीवनाशक दवाईयों को छोड़ कर अन्य सामग्री जैसे उर्वरक , पीकर आदि को पानी डाल कर गीला किया जाता है । लम्बी विधि में मुर्गी की खाद का उपयोग न करे तो अच्छा है ।
ढेर बनाने का पहला दिन (शून्य दिन) :
इस दिन लकड़ी के तीन तख्ते जिनकी लम्बाई, चौड़ाई तथा उचाई ( 1.5-15-15 मीटर ) हो , को इस प्रकार खड़ा किया जाता है कि मानो एक कमरे की तीन दीवारें हैं ।
अब गीले किये गये भूसे में गीली की गई सामग्री का मिश्रण मिलाया जाता है तथा जन्दे (फोक) की सहायता से लकड़ी के तख्तों के बीच खाली जगह में भर दिया जाता है तथा हल्का – हल्का दबाया जाता है ।
जब खाद तख्ते की ऊंचाई तक पूरी भर जाती है तब दाएँ – बाएँ दोनों तख्तों को आगे खिसका कर और जगह बना ली जाती है । इस प्रकार जब तक भूसा व मिश्रण खत्म नहीं होते तब तक लम्बा ढेर बनाते चले जाते हैं।
ढेर बनाने के 24-48 घण्टे के अन्दर ही इस ढेर का तापमान बढ़ना शुरु हो जाता और यह तापमान करीब 75-80 ° सेल्सियस तक पहुंच सकता है ।
पहली पलटाई (6 वें दिन):
पलटाई की इस प्रक्रिया में देर के प्रत्येक हिस्से को उलट – पलट कर खाद के अंदर वाले भाग को बाहर और बाहर वाले भाग के अंदर लाना होता है जिसके लिए खाद को अच्छी तरह मिलाया जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया को खाद की पालटाई कहते है। नया ढेर इस प्रकार लगाया जाता है कि पूरी सामग्री आच्छी तरह से एक हो जाए और मिश्रण एक समान लो । अगर आवश्यकता हो तो पानी भी डाला जा सकता है । देर बनाने की विधि पहले के समान रहती है।
10 वें दिन:
इस दिन उपसोक्त विधि से दूसरी पलटाई की जाती है ।
13 वें दिन:
इस दिन तीसरी पालटाई की जाती है तथा ढेर बनाते समय जिप्सम को खाद में अच्छी तरह मिलाया जाता है।
16 वें दिन:
चौथी पलटाई कर के ढेर बनाया जाता है ।
19 वें दिन:
पांचवीं पलटाई करके फिर से ढेर बनाया जाता है ।
22 वें दिन:
छटी पलटाई करके ढेर बनाया जाता है ।
25 वें दिन:
ढ़ेर की सातवीं पलटाई की जाती है । ढेर बनाते समय ढेर में लिण्डेन ( 850-800 ग्राम प्रति टन भूसा ) को अच्छी तरह मिलाया जाता है ।
28 वें दिन:
इस दिन खाद का परीक्षण किया जाता है। ये परीक्षण खाद में अमोनिया व पानी की सही मात्रा जानने के लिये किया जाता है।
1.) पानी की मात्रा का परीक्षण:
खाद को मुठ्ठी में ले कर निचोड़ा जाता है। खाद में पानी की सही मात्रा तब मानी जाती है जब खाद को निचोड़ने पर हथेली तथा उंगलियां गीली तो हो जायें परन्तु पानी ना निकले । इस समय खाद में पानी की मात्रा 60-65 प्रतिशत तक होती है।
2.) अमोनिया का परीक्षण :
अमोनिया का परीक्षण करने के लिए खाद को हाथ में ले कर सूंघा जाता है । सूंघने पर यदि अमोनिया की गंध आ रही हो तो खाद को 2-3 दिन के अन्तर पर एक या दो पलटाई या जब तक अमोनिया की बू खत्म नहीं होती , पलटाई देते रहते है ।
अधिक पानी व अमोनिया दोनों मशरूम के बीज के लिए हानिकारक है तथा बीज को फैलने से पहले खराब करने में सक्षम है ।
इनके अतिरिक्त खाद की अम्लीयता तथा छारियता ( पी.एच ) नापना भी आवश्यक है । उत्तम खाद की पी.एच. 7-7.7 तक होना चाहिए। जब खाद तैयार जो जाए तो उसे ठण्डा करके 25 ° सेल्सियस तापमान पर लाया जाता है । अब यह खाद बीजाई के लिए तैयार है।
2.) छोटी विधि द्वारा बटन मशरूम कम्पोस्ट बनाना:
इस विधि में खाद को दो तरह से तैयार किया जाता है-
1. बाहर खाद बनाना Phase – 1
2. भीतर खाद बनाना (बंकर विधि )Phase – 2
1. बाहर खाद बनाना Phase – 1

खाद तैयार करने से 4 दिन पहले भूसे को गीला किया जाता है । गीला करने की विधि लम्बी अवधि के समान है ।
पूर्ण रूप से गीला होने के बाद भूसे को खूब दबा दबा कर 1.5 से 2 फुट ऊँचा ढेर बना देते हैं । दो दिन बाद ढेर को तोड़कर आवश्यकता अनुसार और पानी डाला जाता है ।
एक बार फिर दबा – दबा कर 1.5 से 2 फुट ऊँचा ढेर बना दिया जाता है। अब खाद बनाने की प्रक्रिया सुरु करने वाले दिन को 0 दिन मान लिया जाता है।
0 दिन:
भूसे में अन्य सामग्री मिला कर लकड़ी के तख्तों या लोहे के बोझै की सहायता से लगभग 5 फुट चौड़ा व करीब 5 फुट ऊँचा ढेर बना दिया जाता है। ढेर बनाने के विधि लगभग लम्बी अवधि वाली प्रक्रिया के समान है ।
दूसरे दिन:
ढेर को पहली पलटाई दी जाती है । पलटने का ढंग भी लम्बी अवधि वाली विधि के समान ही है।
चौथे दिनः
खाद को दूसरी पलटाई दी जाती है ।
छठे दिनः
खाद को तीसरी पलटाई दी जाती है । ढेर बनाते समय खाद में जिप्सम को अच्छी तरह मिला दिया जाता है ।
आठवें दिन :
खाद को चौथी पलटाई दी जाती है।
दसवें दिन :
इस दिन खाद को नियंत्रित वातावरण वाले कमरे ( पास्चुरीकरण कक्ष ) में भरा जाता है ।
बल्क पास्चुरीकरण / ( Bulk Pasteurization ):
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यह प्रक्रिया नियंत्रित वातावरण वाले पास्चुरीकरण कक्ष में पूरी की जाती है ।
पास्चुरीकरण के निम्नलिखित लाभ हैं :
1. खाद को ऐसे तैयार किया जाता है जिसमें मशरूम फफूंद का विकास हो सके।
2. खाद में कई प्रकार के अवांछित परजीवी जैसे सूत्रकृमि , प्रतिस्पर्धी फफूंद , रोग कारक जीवाणु तथा मक्खिया आदि होते हैं जिन्हें पास्चुरीकरण से समाप्त किया जा सकता है ।
3. अमोनिया को अधिक क्षमता से सूक्ष्मजीवी प्रोटीन में परिवर्तित करते हैं । इस विधि में खाद को पास्चुरीकरण कक्ष में 6-7 फुट तक भर दिया जाता है । इसके बाद खाद में थर्मामीटर की छड़े घुसा दी जाती है ।
खाद के ऊपर खाली स्थान में भी थर्मामीटर की छडे हवा में लटका दी जाती हैं ताकि कमरे व खाद का तापमान कक्ष के बाहर लगे डिजिटल तापमान मापी यंत्र से नापा जा सके ।
खाद भरने के बाद कक्ष को अच्छी तरह से बंद कर दिया जाता है और पंखा ( ब्लोअर ) चला दिया जाता है ।
लगभग 5-6 घण्टे में पास्चुरीकरण कक्ष में खाद व हवा का तापमान 45-53 सेल्सियस तक पहुँच जाता है । इसके बाद करीब 10 प्रतिशत बाहरी स्वच्छ वायु डेम्पर के द्वारा खाद में और कमरे में प्रवेश करवा दी जाती है।
इससे खाद का तापमान बढ़ने लगता है और करीब 10-12 घण्टे में खाद का तापमान करीब 50 सेल्सियस तक पहुंच जाता है । इस तापमान पर खाद को 4-5 घण्टे के लिए रखा जाता है ।
इस दौरान खाद में जो भी बीमारी पैदा करने वाले कीड़े – मकोडे व सूत्रकृमि होते हैं , उनका नाश हो जाता है । अब तापमान को घटा कर 55 सेल्सियस पर लाया जाता है, अगर खाद का तापमान स्वयं 55 सेल्सियस तक नहीं पहुंचता है तो ब्वायलर की मदद से भाप के द्वारा इस तापमान को पा लिया जाता है ।
बाद में खाद का तापमान धीरे – धीरे कम किया जाता है और 4-5 दिन तक 52 सेल्सियस से 45 ° सेल्सियस तक लाया जाता है । इसके लिए डेम्पर द्वारा स्वच्छ वायु का पूर्ण रूप से निकास कराया जाता है ।
जब लगे कि खाद से अमोनिया निकल चुकी है तब ताजा हवा दे कर खाद का तापमान 25-28 ” सेल्सियस तक ला दिया जाता है । इस अवस्था में खाद में बीजाई कर दी जाती है।
इस सारी क्रिया को 6-7 दिन लगते हैं । यह ध्यान रहे की कभी भी ताजी हवा को पूरी तरह से बंद नहीं किया जाये और ताजी हवा वाली डक्ट पर फिल्टर लगा हो ।
2. भीतर खाद बनाना ( बंकर विधि ) Phase – 2

बंकर एक प्रकार का खुला कमरा होता है जिस में नीचे से पाइप डाली होती है और पाइप में बारीक छिद्रों से हवा दी जाती है ।
आज कल फेज -1 के लिए भी बंकरों का प्रयोग किया जाता है । 2-3 दिन बाद खाद की पलटाई करके इसे दूसरे बंकर में भर दिया जाता है और यह प्रक्रिया 3-4 बार की जाती है । 10-12 दिन बाद खाद को फेज -2 के लिए टनल में भर दिया जाता है ।
बंकर विधि में खाद बनाने वाली सामग्री को लिया जाता है और सभी अवयवों को सूखे ही एक साथ मिला लिया जाता है । फिर उन्हें अच्छी तरह से गीला किया जाता है ताकि सामग्रियों में करीब 74-76 प्रतिशत पानी की मात्रा आ जाए ।
फिर इस मिश्रण को 1-2 दिन तक बाहर ही देर बना कर रखा जाता है । दो दिन में मिश्रण का तापमान करीब 70-75 डिग्री सेल्सियस हो जाता है । इसके बाद इस सामग्री को बकर में डालकर करीब दो मिनट प्रति पांच मिनट बलोवर को टाइमर से चलाया जाता है ।
ब्लोवर चलने का समय और बंद रहने का समय इससे भिन्न भी हो सकता है । यह प्रक्रिया 3 दिन तक चलती रहती है । इस दौरान खाद का तापमान करीब 80 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है ।

तीसरे दिन उक्त सामग्री को बंकर से बाहर निकाला जाता है और अगर पानी की आवश्यकता होती है तो उसे मिश्रण में मिलाया जाता है व फिर से इस सामग्री को बंकर में भर दिया जाता है और दोबारा से ब्लोवर चला दिया जाता है ।
यह प्रक्रिया हर तीसरे दिन दोहराई जाती है और तीन – चार बार बंकर में पलटाकर भरने के बाद इस सामग्री को बाहर निकाल कर पास्चराइजेशन टनल में भर दिया जाता है और जो विधि ब्लक पास्चुरीकरण में बताई गई है उसे अपनाया जाता है इस तरह से करीब 15-16 दिनों में खाद बन कर तैयार हो जाती है ।
अच्छे कम्पोस्ट के गुण:
1 ) खाद में अमोनिया की गंध न हो ।
2 ) खाद में पानी की मात्रा 66-68 प्रतिशत हो ।
3 ) खाद की पी.एच. 7.0 से 7.7 तक हो ।
4 ) तैयार खाद में नाइट्रोजन की मात्रा 2.0 से 2.4 प्रतिशत तक हो ।
5 ) खाद का रंग गहरा भूरा हो ।
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