Motivational Story : कैसे एक इंजीनियर बना सफल किसान? अभी पढ़िए पूरी कहानी 2020
एक इंजीनियर से किसान बनने की पूरी कहानी:
आज की Motivational Stories में हम बात करेंगे हरियाणा के रोहतक के नीरज ढांडा के बारे में।

नीरज ने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री ले रखी है। नीरज जब इंजिनीरिंग कर रहे थे तभी से उनका ध्यान कृषि किसानी पर केंद्रित होने लगा था।
उनको एक बात हमेशा परेशान करती थी कि, किसान बहुत मेहनत कर के अपना अनाज उगता है पर जब वो उसको बेचने मंडी जाता है तो उसको उसका सही दाम कभी नही मिलता है।

उन्होंने तभी से ठान लिया था कि इंजीनियर करने के बाद उनको क्या करना है।
जहाँ आज सभी युवा नौकरी की तरफ भाग रहे थे, वही नीरज ने एक दम अलग राह चुनी।
उनको अपना future खेती में नजर आने लगा था।
पढ़े लिखे होने की कारण नीरज ने ये जान लिया था कि पारंपरिक खेती करने में अब उतना फायदा नही रह गया है।
आप की इच्छा शक्ति ही आप का हथियार है
उन्होंने आधुनिक कृषि पद्धति का उपयोग करना सुरु कर दिया और जल्दी ही उनको इसके अच्छे परिणाम भी मिलने लगे।
आज उनकी गिनती हरियाणा में नही बल्कि पूरे भारत में एक सफल किसान के रूप में होने लगी है।
नीरज अमरूद (Guava) की खेती करते है और उस से एक अच्छा खासा मुनाफा भी कमाते है।

ऐसा नही था कि नीरज को सुरू से ही सफलता हाथ लगी हो। एक वक्त ऐसा भी था जब विफलताओं ने नीरज को घेर लिया था।
ये वो समय था जब नीरज ने खेती करना सुरु ही किया था। नीरज उस समय चेरी की खेती करते थे जिसमें उनको बहुत नुकसान हुआ और उनको इस में असफलता हाथ लगी।
नीरज का ये जनून ही था कि उन्होंने हार नही मानी और अपना ध्यान अमरूद (Guava) की खेती की तरफ केंद्रित किया।
नीरज ने इलाहाबाद ( प्रयागराज ) के कायमगंज की एक नर्सरी (Nursery) से अमरूद (Guava) के पौधे लाकर आपने खेतो में लगाये।

उनका अमरूद (Guava) के ऊपर खेला हुआ दाव सही साबित हुआ ओर उनको अमरूद (Guava) की अच्छी पैदावार हुई।
पर एक समस्या से उनको भी दो-चार होना पड़ा जिस समस्या से हमारे किसान भाई हर रोज़ होते है।
उनको मंडी मैं अपने अमरूदों (Guava) का सही दाम नही मिल रहा था।
पर उन्होंने इस समस्या का भी एक अलग ढंग से निपटारा किया।
उन्होंने अपने अमरूद (Guava) को बेचने के लिये कई काउंटर लगाए। इस नये प्रयोग से उनको अपने अमरूद (Guava) का सही दाम मिलने लगा।
थोक विक्रेता अब मंडी ना जा कर अब सीधे नीरज के काउंटर पर पहुचने लगे, जिससे नीरज को अपने अमरूद (Guava) का सही दाम मिलने लगा।
इसी बीच नीरज का अमरूदों (Guava) की किस्मो (Varieties) ओर उनकी गुणवत्ता (Quality) पर भी प्रयोग जारी रहा।
इसी दौरान नीरज ने थाईलैंड के जंबो अमरूद (Jumbo Guava) की किस्म (Variety) का पता चला। उन्होने छत्तीसगढ़ से थाईलैंड की उस जंबो के अमरूद की पौध लाकर अपने खेतों मैं लगायी।

जंबो अमरूद (Guava) की एक खासियत होती है कि वो वजन में आम अमरूदों (Guava) से दो से तीन गुना ज्याद वजनी होता है ओर काफी दिनों तक ताजा बना रहता है। जिससे जंबो अमरूद (Guava) की मांग बढ़ने लगी।
नीरज का ये प्रयोग भी बहुत कामयाब हुआ और उनकी आमदनी भी जंबो अमरूद (Guava) की तरह बढ़ने लगी।
नीरज ने अब अपनी कंपनी भी बना ली थी। अब नीरज इस कंपनी के द्वारा आपने अमरूदों (Guava) को दूर दूर तक बेचने लगे।
नीरज आज अमरूद (Guava) की खेती में जाना माना नाम बन चुके है और उनकी लोकप्रियता दिनों दिन ओर भी बढ़ रही है।
नीरज आज की तारीख में उन सभी पढ़े-लिखे बेरोजगार युवकों के लिऐ एक मिसाल से कम नही है।
मैं आशा करता हूँ कि ये Motivational Story आप सभी को Inspire करेगी।
आप को हमारा ये Article कैसा लगा हमको जरूर बताये। अगर आप का कोई सुझाव हो तो हमको कम्मेंट बॉक्स में जरूर बताये।
धन्यवाद🙏
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