अनानास की खेती की उन्नत तकनीक: खेतों को तैयार करने से बेचने तक पूरी जानकारी Step-By-Step 2020
परिचय:

Hello दोस्तो आज के article में हम अनानास की खेती के बारे में विस्तार में बताएंगे।
अनानास (pineapple) health के लिये फायदेमंद होने के साथ साथ बहुत मुनाफे की फसल भी है।
अनानास को भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व में इसके स्वाद और कई गुडों के कारण औद्योगिक स्तर पर बहुत बड़े पैमान पे उगाया जाता है।
अनानास का पूरी विश्व में लगभग 15 मिलियन टन सालाना उत्पादन होता है। भारत में अनानास का उत्पादन लगभग 1.5 मिलियन टन सालाना होता है।
अनानास को ब्राजील मूल का पौधा माना जाता है। अनानास वैसे तो कई गुंडो से भरा हुआ है पर इसमें कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होती है जो हमें ताकत देने क साथ-साथ हमारी इम्युनिटी को भी बढ़ता है।
अनानास की बनावट की बात करिजाये तो इसका तना छोटा होता है पर इसकी गांठे मजबूत होती है।
अनानास खाने के फायदे/लाभ/औषधीय गुण:
अनानास विटामिन C से भरपूर होता है इसके साथ अनानास में विटामिन A ओर विटामिन B भी पाया जाता है।
अनानास में पोटैशियम, मैग्नेशियम, आयरन और कैल्शियम जैसे मिनरल्स भी पाये जाते है।
अनानास में खाना पचाने वाले एंजाइम भी पाये जाते है। अनानास ऐसी ही बहुत सी खूबियों से परिपूर्ण है।
हम सभी जानते है कि फलो को ताजा ही खाना फायेदमंद है पर अब फलो के पैकिंग की तकनीक आने के कारण अब फल पैकिंग में भी उपलब्ध होने लगे है जो ताजे फलों के समान ही स्वादिष्ट व पौष्टिक होता है।
भारत मे पाये जाने वाली अनानास की किस्मे:
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अनानास की जायंट केव तथा क्वीन की किस्मे पश्चिम बंगाल मैं पायी जाती है।
अनानास की केव, क्वीन, मॉरीशस किसमें मुख्य रूप से south India के केरल राज्य तथा असाम व north east states में पाई जाती है।
अनानास की खेती कहाँ होती है? व अनुकूल वातावरण:

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अनानास को नम ट्रोपिक्स में उगाना उपयुक्त होता है। अनानास की खेती मुख्यतौर पर उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है, क्यों की यहाँ पे नमी पुरे साल बनी रहती है जोकि अनानास की खेती के लिए बहुत जरुरी है।
इसके अलावा कुछ राज्यों जैसे बिहार , राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश के कुछ इलाको मैं इसकी खेती की जाती है।
अनानास को समुद्री तट वाले स्थान पे भी उगाया जाता है क्यों कि यहाँ जमीनी जल अच्छी मात्रा में उपलब्ध होता है।
यहाँ पर बरसात भी अच्छी मात्रा में होती है तथा तापमान भी अनानास की खेती के लिए अनुकूल होता है।
अनानास की खेती के लिए भारी वर्षा वाले क्षेत्र सर्वश्रेष्ठ होते हैं।
अनानास की खेती के लिये 1400 मिमी बारिश प्रति वर्ष बहुत अच्छी मानी जाती है, हालांकि 500 मिमी से 5500 मिमी वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अनानास को उगाया जा सकता है।
अनानास की खेती के लिये कम तापमान, तेज धूप और घनी छाया हानिकारक होती है।
जहाँ तक तापमान की बात करी जाये तो अनानास की खेती के लिये अनुकूल तापमान 16 से 33 डिग्री तक होता है।
अनानास को समुद्र तल से 1500 मीटर ऊपर तक सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।
अनानास की फसल के लिए उपयुक्त मृदा:

अनानास लगभग किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, पर अगर हम इसकी खेती के लिये अनुकूल मिट्टी की बात करे तो अनानास को 5.5 से 6.0 की पीएच रेंज वाली थोड़ी अम्लीय मिट्टी में उगने सबसे उपयुक्त माना जाता है।
मिट्टी पानी की सोखने वाली होनी चाहिये और मिट्टी वजन में भी हल्की होनी चाहिए जैसे : बलुई मिट्टी, बाढ़ द्वारा आई मिट्टी या रेत से बनी भूमि, कछारी, जलोढ़ आदि।
जो मिट्टी वजन में भारी ओर पानी को जल्दी सोखने वाली नही होती है ऐसी मिट्टी में अनानास की खेती नही करनी चाहिए।
अनानास की खेती के लिए भूमि को तैयार करना:
अनानास की खेती के लिए भूमि की प्रकृति के आधार पर खेतो की जुताई या खुदाई द्वारा समतल करके तैयार किया जाता है।
अनानास को लगाने का सही सीज़न:
अनानास न तो बहुत अधिक तापमान और न ही बहुत अधिक ठंढ को सहन कर पाता हैं।अनानास को बरसात के दिनों में उगाया जाता हैं।
अनानास में आमतौर पर फरवरी से अप्रैल तक फूल आ जाते है और फल जुलाई से सितंबर तक तैयार हो जाते हैं।
अनानास में कभी-कभी ऑफ-सीज़न में भी फूल आ जाते हैं और वे सितंबर-दिसंबर में फल देते हैं।
अनानास मैदानी ओर 800 मीटर से कम ऊँचाई वाली जगहों पर बहुत अच्छे से बढ़ता है। अनानास एक नम उष्णकटिबंधीय पौधा है।
अनानास में उर्वरक और पोषक तत्व प्रबंधन:
अनानास को उच्च नाइट्रोजन और पोटेशियम की आवश्यकता होती है। कई स्थानों पर किए गए अनुसंधान परीक्षणों के आधार पर 11 ग्राम प्रति पौधा नाइट्रोजन (N) और पोटैशियम ऑक्साइड (K20) देने की सलाह दी गई हैं।
अगर मिट्टी में फास्फोरस की कमी है तो मिट्टी में फास्फोरिक अम्ल (P205) 4 ग्राम/प्लांट डाल सकते है।
नाइट्रोजन का इस्तेमाल 5 अलग अलग समय पर करना होता है, नाइट्रोजन की पहली मात्रा अनानास के पौधा लगाने के 2 महीने बाद देनी होती है, तथा आखरी मात्रा पौधा लगाने के 12 महीने बाद देनी होती है।
अगर हम पोटाश की बात करे तो पोटाश को दो अलग अलग टाइम पार देना होता है। बरसात वाली जगहों पर खाद का इस्तेमाल तभी करना चाहिये जब जमीन मैं अच्छी मात्रा में नामी हो।
अनानास के पौधों मैं लगने वाले रोग ओर कीट:
अनन्नास में तने की सड़न के अतिरिक्त अन्य रोग नहीं होते। अनानास आमतौर पर कीटों से प्रभावित भी नही होते, पर कभी-कभी मीली कीड़ों तथा स्केल कीड़ों से समस्या खड़ी हो जाती है।
अनानास के पौधे को लगाने से पहले खेतो में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था कर लेनी चाहिए और बोने से पहले अनानास की जड़ो को बोरडो मिश्रण में डुबो देना चाहिये।
अनानास की पैदावार और कटाई:

अनानास के पौधों में फूल आने तथा फल आने मैं जो समय लगता है वो कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे: कौन सी किस्म का पौधा लगाया गया है, किस समय लगाया गया है, किस साइज ओर किस प्रकार का प्लांट मेटेरियल इस्तेमाल किया गया है, जिस समय फल तैयार हुआ है उस समय तापमान क्या है।
आमतौर पर ये देखा गया है कि अनानास के पौधों में 13-15 महीनों में फूल आने शुरू हो जाते है तथा 15-19 महीनों में फल तैयार हो जाते है।
फूल आने के 5 महीनों के बाद अनानास के फल पकने शुरू हो जाते है। अगर सबकुछ ठीक रहे तो सामान्य हालातो मैं मई-अगस्त में अनानास के फल तोड़ने लायक हो जाते है।
कभी कभी ये देखा गया है कि एक साथ लगाये गये पौधों में फूल खिलने का समय अगल-अलग हो जाता है, जिससे फलो के आने का समय भी अलग-अलग हो जाता है।
ऐसा होने से फलो को तोड़ने में ज्यादा समय लगता है और खर्चा भी बढ़ जाता है। ऐसी समस्या से बचने के लिऐ फूल खिलने से 1 महीने पहले एथ्रेल (100 ppm) के घोल का इस्तेमाल पौधों पर करना चाहिए।
अनानास के पौधों का जीवन चक्र:

आमतौर पर अनानास के पौधे का आर्थिक जीवन लगभग 5 साल होता है। इसके बाद, पौधे को उखाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए, तथा नई फसल के लिऐ खेतो को फिर से तैयार करना चाहिए।
पहली फसल के बाद पौधे को मिट्टी की स्थिति के आधार पर 3-4 साल तक रखा जा सकता है। उच्च-घनत्व वाले पौधा रोपण में पता चलता है कि दूसरी तुड़ाई से प्राप्त फलो का औसत वजन पहली तुड़ाई से प्राप्त फलो से कुछ कम होता है।
इन 4-5 सालो में पौधों की संख्या को भी कम किया जाता है, जो पौधा कमजोर और सूखा हुआ दिखता है उसको तोड़ के फेक देना चाहिए।
अनानास की पैदावार उसके रखरखाव पर बहुत निर्भर करती है। अनानास की औसत उपज 60-90 टन / हेक्टेयर होती है अगर हम उसकी अच्छी देखभाल करें।
अनानास को कहाँ बेचे:
भारत ही नही विदेशो में भी अनानास की हमेशा से बहुत अच्छी मांग रही है। अनानास की प्रोसेसिंग उद्योग में भी काफी अच्छी मांग है।
अनानास का निर्यात हम मुख्य रूप से यू.के., यू.ए.ई, ओर स्पेन को करते है। इन देशों में अनानास का निर्यात मुख्य रूप से जूस, डिब्बाबंद स्लाइस आदि के रूप में होता हैं।
निष्कर्ष:
अगर हम अनानास की खेती का सही से प्रबंधन करते है तो हम एक अच्छा खासा मुनाफा बड़े आराम से कमा सकते है और आत्मनिर्भर बन सकते है।
अधिक जानकारी के लिए विजिट करे https://hortnet.gov.in/
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