बटन मशरुम की खेती के लिए कम लागत की झोपड़ी बना के पहली ही फसल से ले अच्छा मुनाफा 2020
बटन मशरुम की खेती के लिए कम लागत की झोपड़ी बनाना :
जैसे जैसे लोग मशरुम के गुडों से वाकिफ हो रहे है वैसे वैसे मशरुम की खपत भी भारत में बढ़ रही है। जिससे एक नया रोजगार उभर कर आया है और किसान मशरुम की खेती की ओर ध्यान दे रहे है।
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बटन मशरूम की खेती
मशरुम की खेती अब मुनाफे की खेती बन गई है क्यों कि इसमें ज्यादा जमीन की भी जरूरत नही पड़ती। जमीन उपजाऊ हो या बंजर इस से भी कोई फर्क नही पड़ता क्यों कि मशरुम को कम्पोस्ट ( खाद ) में उगाया जाता है।
वैसे तो पूरे भारत में मशरुम की खेती की जाती है पर हरियाणा, पंजाब, उतर प्रदेश व उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में बटन मशरूम की मौसमी खेती ज्यादा बड़े पैमाने पे की जाती है ।
भारत में शीत ऋतु में बटन मशरूम की खेती के लिए छोटे किसान ज्यादातर मौसमी उत्पादन करते है और वे शीत ऋतु में कम लागत से बने उत्पादन कक्षों में मशरूम की खेती करते है ।
शीत ऋतु में कम तापमान का फायदा उठाकर किसान बड़े आराम से एक या दो बार मशरुम का उत्पादन कर लेते हैं । हरियाणा में बटन मशरूम की कुल पैदावार का आधा हिस्सा मौसमी खेती यानि कि शीत ऋतु से होता है और हरियाणा ही नहीं पूरे भारत के किसान सर्दियों मैं अब मशरुम की खेती की और ध्यान दे रहे है।
जगह का चुनाव:
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वैसे तो मशरुम की खेती आप कही भी कर सकते है इसका ज़मीन के उपजाऊ होने या बंजर होने से कोई लेना देना नहीं है, फिर भी कुछ जरुरी चीजों का ध्यान जरूर रखना चहिये:-
• जहा आप फार्म बना रहे है, फार्म की जगह साफ स्वच्छ होनी चाहिये और फार्म खुली जगह पर या ऐसे इलाके में हो जहाँ प्रदूषण न हो ।
• पानी मशरुम की खेती के लिए बहुत जरुरी चीज है इसलिए जहा भी आप फार्म बना रहे हो वह पानी बहुतायत मैं उपलब्ध होना चहिये। पानी खारा नहीं होना चाहिए नहीं तो वो मशरुम को बढ़ने से पहले ही नष्ट कर देगा ।
• मशरुम को उगाने के लीये जिस मुख्य पढ़ार्थ की जरूरत होती है उनमें गेहू का भूसा या धान का भूसा मुख्य है। अतः ध्यान रहे कि झोपड़ी वही बनाये जहाँ गेहूँ का भूसा या धान का भूसा ( पुआल ) आस – पास में आसानी से उपलब हो।
• झोपड़ी बनाते समय ध्यान रहे ही एक झोपड़ी से दूसरी झोपड़ी ज्यादा नजदीक ना हो ताकि हवा का प्रवाह अच्छी तरह से हो सके।
• आप के फार्म से बाजार की दूरी ज्यादा न हो जिससे आप तैयार माल आसानी से बाजार तक पहुँचा सके।
• कम्पोस्ट बनाने की जगह और मशरूम उत्पादन कक्ष इस प्रकार से बने होने चाहिये कि हवा का प्रवाह कम्पोस्ट तैयार करने की जगह से उत्पादन रूम की तरफ ना हो।
• उत्पादन रूम में साफ सफाई का बहुत ध्यान देना चाहिये। उत्पादन रूम को बेहतर साफ – सुथरा बनाये रखने के लिये फार्मेलीन से साफ करना चाहिये ।
काम लागत की झोपड़ी बनाने की सुरूआत कैसे करे?

कम लागत की झोपड़ी
झोपड़ी का साइज आम तौर पर 28-30 फुट ( चौडा ) व 50-55 फुट ( लम्बा ) के आसपास होता है। झोपडी बनाने से पहले जगह की सफाई करके निशान लागाये जाते हैं , गड्ढे करने के बाद इन में बांस गाड़े जाते हैं ।
एक बांस की दूसरे बांस से दूरी 3-5 फ़ीट की होती है। झोपड़ी का निर्माण ठीक वैसे ही किया जाता है जैसे पहले गांवों में लोग रहने के लिये झोपडी का निर्माण करते थे । हवा और तापमान को नियंत्रित करने के लिए झोपडी के बाहर पोलीथीन की शीट लगाई जाती है जिसे जरूरत अनुसार ऊपर – नीचे किया जाता है ।
एक झोपड़ी को बनाने में लगने वाली सामग्री:
आइटम | साइज | संख्या |
बांस | 12 फुट लम्बा 3 इंच मोटा | 100 |
बांस | 10 फुट लम्बा 2.5 इंच मोटा | 220 |
बांस | 20 फुट लम्बा 1 इंच मोटा | 280 |
सुतली | 10 k.g | |
पन्नी पराली | 35 k.g 2 ट्राली |
एक झोपडी से कमाया गया मुनाफा:

झोपड़ी के निर्माण में लगी लागत
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एक झोपड़ी बनाने के लिए लगभग 45000 रु का खर्च आता है । एक झोपड़ी में लगभग 12 टन खाद आती है ओर 12 टन खाद बनाने में लगी लागत और खाद तैयार करने पर लगी मजदूरी और अन्य खर्च जोड़ कर प्रति झोपड़ी लगभग एक लाख रुपए का खर्च आता है ।
एक झोपड़ी से 25 किवंटल तक मशरूम पैदा होती है । अगर 80 रू प्रति किलो भी भाव मिले तो मशरूम की कुल कीमत 200000 / – रू होगी । इस प्रकार प्रति झोपड़ी पहले साल लगभग 55000 / रु ( 200000-145000 ) का लाभ होता है ।
दुसरे साल झोपड़ी बनाने का खर्च 10 से 15 हजार ही आता है क्योंकि बाँस हमारे पास पहले से ही उपलब्ध है। बांस का उपयोग 5 से 6 साल तक किया जा सकता है । इस तरह दुसरे साल से मुनाफा लगभग दोगुना हो जाता है ।
कम लागत के स्थायी मौसमी मशरूम उत्पादन रूम:
कुछ किसान भाई साल भर मशरुम की खेती भी करते है। जिन किसान भाइयों पर ज्यादा पैसा नही होता है वैसे किसान भाई काम लागत के मशरुम उत्पादन रूम बना कर भी मशरुम की खेती पूरे साल भर कर सकते है।
इस प्रकार के मौसमी मशरूम उत्पादन कक्ष सामान्य ईटों की दीवारों व एस्बेस्टस शीट के छत से बने होते हैं । अच्छे फसल उत्पादन के लिए कक्ष को उष्मारोधी बनाया जा सकता है । मौसमी उत्पादन कक्ष को गर्म या ठंडा रखने के लिये किसी प्रकार की उर्जा की आवश्यकता नहीं होती।
मौसमी उत्पादन के लिए उत्पादन कक्ष सामान्य छप्पर , जिसमें निचली तरफ पॉलीथीन लगी हो , से भी बनायी जा सकती है । मुख्य द्वार को कमरे की एक और रखा जाता है तथा निकास नली को उसकी विपरीत दिशा में रखा जाता है।
मशरूम को बांस की डण्डियों और सरकण्डो के तनों से बनी बिछौने पर उगाया जाता है। ओर भी कम लागत का कक्ष बनाने के लिए किसान भाई स्टील पाइप का फ्रेम का भी इस्तेमाल कर सकते है जिसको पॉलीथीन से ढ़क के तैयार किया जाता है।
भारत में मशरूम उत्पादन की संभावनाएं और उनका वर्गीकरण 2020
भारत मैं मशरुम की खेती का प्रशिक्षण बागवानी विभाग से ले सकते है इसकी वेबसाइट https://hortnet.gov.in/ है।
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